Friday, 28 July 2017

मुझे जीना नही आता

मुझे जीना नही आता,
ज़िन्दगी जब तक मुझे एक दो पठखनियाँ नही दे देती मेरी धमनियों में उबाल नही आता,
पठखनी दर पठखनी ससख्त होता जाता हूँ।
फिर ज़िन्दगी अपनी शर्तों पर जीने निकल पड़ता हूँ,
बेख़बर बेपरवाह तब तक जब तक, ऐ ज़िन्दगी फिर कोई करारा जवाब नही मिल जाता।
-
अभिषेक तिवारी।

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